Amavasya Ke Upay – श्री शिवाय नमस्तुभ्यं हर हर महादेव गुरुजी पंडित प्रदीप मिश्रा जी अपने शिव महापुराण कथा के दौरान कई ऐसे उपाय बताते हैं जिन्हें आपको अलग-अलग दिनों में करना होता है जैसे कुछ उपाय आपको सोमवार को करने होते हैं कुछ आपको प्रदोष कुछ एकादशी कुछ पूर्णिमा और कुछ उपाय आपको अमावस्या में करने होते हैं आपको इस आर्टिकल में हम गुरु जी का बताया एक ऐसा अमावस्या का उपाय की जानकारी देने वाले हैं. जिसकी जानकारी गुरुजी पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने अपनी शिव पुराण कथा के अंतर्गत दी है.
Amavashya Kab Aati Hai
सबसे पहले जाने अमावस्या की तिथि कब आती है तो हम आपको बता दें अमावस्या की तिथि प्रत्येक माह में एक बार कृष्ण पक्ष में आती है. कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के बाद अगली तिथि अमावस्या कहलाती है. इसके बाद शुक्ल पक्ष शुरू होता है.
Amavasya Ka Upay
गुरु जी ने कहा अगर आपके कार्य अटक जाते हैं पूर्ण नहीं होते हैं आपके जीवन में आपको उन्नति नहीं मिल रही है ना आपका व्यापार आगे बढ़ रहा है ना नौकरी मिल रही है आर्थिक तंगी छाई हुई है. जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है तो आपको प्रत्येक माह में आने वाली किसी भी अमावस्या में एक विशेष उपाय करना है. यह उपाय आपको बार-बार करने की भी आवश्यकता नहीं है सिर्फ एक बार ही करेंगे तो भी पर्याप्त है.
- आपको पीले चंदन का उपयोग करते हुए अगर आपके पास पीला चंदन नहीं है तो आप अष्टगंध चंदन का भी उपयोग कर सकते हैं.
- पीले चंदन या अष्टगन चंदन का उपयोग करते हुए आपको शिवलिंग में 7 स्थान पर बिंदी लगाना है कहां-कहां लगाना है
- आपको हम बताते जाएंगे अगर आप वीडियो के माध्यम से उपाय देखना चाहते हैं तो नीचे हमने वीडियो की लिंक भी दे दी है.
- जिसके माध्यम से आप देख कर भी समझ सकते हैं कि यह उपाय आपको किस प्रकार से करना है.
- सबसे पहले बिंदी आपको शिवलिंग में जो गणेश भगवान का स्थान होता है शिवलिंग में जलाधारी के सीधे हाथ की ओर मतलब राइट साइड के एरिया गणेश भगवान का कहलाता है वहां पर आपको पहली बिंदी लगा देना है.
- दूसरी बिंदी आपको शिवलिंग में जो कार्तिकेय भगवान का स्थान होता है वहां पर लगाना है शिवलिंग में जलाधारी के लेफ्ट साइड मतलब उल्टे और कार्तिक भगवान का स्थान होता है वहीं पर आपको दूसरी बिंदी लगाना है.
- तीसरी बिंदी आपको शिवलिंग में माता अशोक सुंदरी के स्थान में लगाना है माता अशोक सुंदरी का स्थान शिवलिंग में जलाधारी में गणेश भगवान और कार्तिक के भगवान के स्थान के बीच का स्थान कहलाता है.
- इसके बाद चौथी बिंदी अगर ऊपर शिवलिंग के जलाधारी बंधी है तो उसमें लगा देना है अगर ऊपर जलाधारी नहीं बनती है तो शंकर भगवान की पांच बेटियां जय विषहरा शामलीवाली दोतली देव इनका नाम लेते हुए आपको वह बिंदी शिवलिंग पर लगा देना है.
- इसके बाद आपको अगली बिंदी शिवलिंग के काटिय भाग में लगाना है यह स्थान माता पार्वती का हस्तकमल कहलाता है.
- इसके बाद छठवीं बिंदी आपको नंदीश्वर के नंदी भगवान के दोनों सिंघ में लगा देना है.
- इसके बाद सातवीं बिंदी आपको शिवलिंग के ऊपर लगा देना है.
इस प्रकार से साथ बिंदी जो अमावस्या की तिथि में शिवलिंग में साथ अलग-अलग स्थान में लगा देता है उसके पितृ प्राप्त हो जाते हैं और उसके जीवन में अटके हुए कार्य पूर्ण होना शुरू हो जाते हैं.
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इस आर्टिकल में बताई गई सभी जानकारी गुरुजी पंडित प्रदीप मिश्रा जी के द्वारा बताई गई जानकारी है जो वह अपनी शिव पुराण कथा के माध्यम से बताते हैं और वही जानकारी हम आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि उसका आपको अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके.